Thursday 29 July 2010

अर्धविराम

क्या किसी विधि विरमित हो सकती हैं मेरी लालसाएं
जिन्हें मैं देना चाहता हूं विराम
मैं देर तक सोना चाहता हूं तमाम हलचलों के बीच
कितना अच्छा लगता है कि तमाम हलचलों के बीच कोई होता है अपने-आपमें तल्लीन और डूबा हुआ
और उसकी तनिक भी नहीं लगता उसे भनक
मैं भी वहीं होना चाहता हूं कुछ पलों के लिए ही सही
क्रियाओं के बीच विरमित

बहुत सारी हलचलों के बीच इस तरह से होना
हलचलों को देता है नया सौन्दर्य
सौन्दर्य का एक नया सा कोण
और कई बार तो विराम बन जाता है हलचलों की दुनिया में एक बड़ी हलचल
क्या मुझे सिखा देगा कोई अर्धविराम
मैं दरअसल खोज रहा हूं ज़रा सी जगह दोनों के बीचोबीच।

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