किसी ने बताया
मेरी पीठ पर
पड़ गया है निशान किसी दीवार का
मैंने खोजा
कहां, आख़िर कहां, किसी दीवार के पीछे छिपकर बैठी है वह दीवार
जिसने चुपचाप मेरी पीठ पर लगा दिया है अपना निशान
और मैंने उसे पकड़ ही लिया एक दिन, उस नयी नयी रंगी हुई दीवार को रंगेहाथ
जब वह मेरी पीठ पर एक और निशान लगाने की कोशिश में थी
लेकिन मैं यह देखकर हो गया अचम्भित
उस दीवार पर पड़े थे मेरी पीठ के निशान
ग़नीमत तो यह थी कि किसी ने यह नहीं देखा
मेरी पीठ और दीवार का यह अनोखा रिश्ता
उस दिन से कई बार मुझे लगा
मेरी पीठ सहसा तब्दील हो जाती है दीवार में
और दीवार भी शायद बदल जाती हो मेरी पीठ में
मैं चुपके से अक्सर सहला आता हूं
उस दीवार को
जैसे मैं अपनी पीठ पर ही
हाथ फेर रहा होऊं।
Friday 30 July 2010
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