Sunday 18 July 2010
तस्वीरें
चित्रः मृदुला सिंह
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कभी भी अच्छी नहीं आयी उसकी तस्वीर
ख़ुद फ़ोटोग्राफ़र भी रहते थे हैरान
क्या है ऐसा कि वह दिखता तो ठीक-ठाक है
लेकिन तमाम कोशिशों के बावज़ूद
वे संतुष्ट नहीं हो पाते थे अपनी ही खींची गयी तस्वीरों से
ज़िन्दगी आगे बढ़ती गयी और लेकिन तस्वीरें खिंचती रहीं बेजान, अनाकर्षक, निस्तेज, उदास
नकली भावों वाली
चेहरा लगता था जैसे हो मुखौटा
कई बार तो एक तस्वीर का चेहरा नहीं मिलता था दूसरी तस्वीर से
लोग सहसा नहीं पहचान पाते थे कि किसकी है तस्वीर
उसके घर वाले भी नहीं, बाल-बच्चे, पत्नी, दोस्त
सबको बताना पड़ता
वही है वह जिसकी तस्वीर ली गयी है
अचानक एक दिन
वह नहीं रहा
और बस पीछे रह गयी ढेर सारी तस्वीरें
हैरत की उसके जाते ही आ गयी तस्वीरों में जान
उसकी हर अदा जानी-पहचानी
उसका हंसना, उसकी उदासी सब कुछ तो थी
जैसे एकदम सामने हो वह
बाल-बच्चों ने जब बनवायी उसकी आदमकद तस्वीर
तो एकाएक लोग अचम्भित हो जाते
जैसे वह खड़ा हो सामने सचमुच।
लोग कहते हैं अब वह अपनी तस्वीरों में ज़िन्दा है
क्या किसी के जाने के बाद जान आ जाती है तस्वीरों में!!
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