Tuesday 13 July 2010

भगवान जी से



चित्रः मृदुला सिंह
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प्रभु! तुम्हारी छोटी सी मूर्ति के पास
ठीक नीचे रखे हैं झाड़ू और जूते चप्पल
उन्हें तुम इग्नोर करना वह तुम्हारे लिए नहीं हैं
तुमसे अपील है कि तुम अपने काम से काम रखो
और वह जो फूल तुम्हारी मूर्ति के पास रखा है
और जली हैं अगरबत्तियां, जला है एक घी का दिया
बस वही तुम्हारे हैं, उतना ही है तुम्हारा तामझाम, माल असबाब
तुम वहीं तक सीमित रहो, और उतने में ही मगन
यह छोटा सा घर है मेरा, उसी में तुम्हें भी ज़गह दी है यही क्या कम है?
सुबह से सिर पर रहते हैं कई काम, और उसी में इधर मार्निंग वाक भी ज़रूरी हो गया है
थुलथुल होती पत्नी के कारण
सो तुम्हें याद करने के लिए वक्त कम निकलता है
वह भी कभी-कभी
तो भी तुमको एडजेस्ट करके चलना होगा
एक नन्ही सी जान, घर गृहस्थी के हज़ारों काम
उसी में तुम्हें भी शामिल किया है, यही क्या कम है!

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