Thursday, 29 July 2010

इशारा

मैं आ तो गया हूं यहां
पर किसका
किसका इशारा था
इस शहर, इस मोहल्ले, इस किराये के मकान में आने का
क्या राशिफल ने निकाला था कोई निष्कर्ष
कहा था मेरे अवचेतन मन ने मरे सपनों को
हवा ने कहा था-बहो इस ओर
या फिर किसी ने की थी कामना
कि मैं
चला जाऊं
वहां, उस ओर
जहां अपनों को करूं दूर से रह-रह कर याद
मैं उस इशारे को तह से पकड़ना चाहता हूं
जो किसी के आने-जाने को करता नियंत्रित
पर इसके लिए मुझे कहां जाना होगा
यह भी तो असमंजस है
इसे भी तय करेगा
कोई कहां से बैठ चुपचाप।

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