Sunday, 18 July 2010

साझेदारी


चित्रः मृदुला सिंह
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ताख पर रखी हुई चाभी
बार-बार उकसाती है
कहीं चलूं
और ताले को ज़रा देर सोचने दूं अपने घर के बारे में
इतमीनान से
करके उसी के हवाले

बुरा नहीं है घर की चिन्ताओं में
शामिल कर लेना ताले को
दरवाज़े, खिड़की, अलगनी, आलमारी को भी
मय साजो-सामान

घर
जहां कई-कई लोग
छोटी-मोटी चीज़ों की चिन्ता में
रहते हैं शामिल

कितना सुकूनदायक होता है चिन्ताओं का बंट जाना

बंट जाने से कम हो जाता है बोझ
जैसे बंट गयी हों डाकिये की चिट्ठियां।

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