tag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post6600863929740223349..comments2023-10-22T08:30:18.881-07:00Comments on यही सही: हंसी की तासीरडॉ.अभिज्ञातhttp://www.blogger.com/profile/06943544230145995433noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-89828182737103347082010-07-04T08:11:49.735-07:002010-07-04T08:11:49.735-07:00इस चिट्ठे के साथ हिंदी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत...इस चिट्ठे के साथ हिंदी चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-44749467747185690442010-07-02T20:52:38.341-07:002010-07-02T20:52:38.341-07:00चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। आपके ब्लाग पर आकर अच...चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है। आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है। <br />इंटरनेट से घर बैठे आमदनी की इच्छा हो तो यहां पधारें-<br />http://gharkibaaten.blogspot.comSaritahttps://www.blogger.com/profile/13871643749486783903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-28659686566411842262010-07-01T02:18:44.153-07:002010-07-01T02:18:44.153-07:00अच्छा लगा आपका ब्लॉग, हिंदी में लेखन के लिए बधाई।
...अच्छा लगा आपका ब्लॉग, हिंदी में लेखन के लिए बधाई।<br />स्वागत है!<br />================<br />न जानो तुम<br />स्वाद - गंध - स्पर्श से परे<br />टिटहरी की उड़ान और गिलहरी की फ़ुदक<br />बिम्ब अँधेरे में धुएँ के<br />कुछ टूटता,<br />कुछ गलता<br />कुछ चाहा सा हो गया अचानक चित्तीदार<br />रोएँ उड़ रहे हैं<br />किरनों के स्वयम्वर में<br />लजाती हुई परम्परा<br />रूठती है<br />दिनमान<br />राका अशेष<br />और समय चुप<br />कराहते हुए सन्नाटे में<br />सुलगती हुई बूँदें<br />अब शायद महक आए<br />किसी सड़ाँध से अलग<br />शायद मोगरे की-<br />शायद पसीने की<br />आभार!Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-16986249357729918232010-07-01T00:28:05.177-07:002010-07-01T00:28:05.177-07:00ब्लाग संसार में स्वागत है. अच्छी कवितायें हैं, शुभ...ब्लाग संसार में स्वागत है. अच्छी कवितायें हैं, शुभकामनायें !विवेक.https://www.blogger.com/profile/12529921401145176797noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-10143693525520267012010-06-30T23:54:18.692-07:002010-06-30T23:54:18.692-07:00— भावों की जटिलता इतनी कि अज्ञेय को मात दे रहे हैं...— भावों की जटिलता इतनी कि अज्ञेय को मात दे रहे हैं.<br />— मुक्तिबोध से भी कठिन शब्द-विन्यास अपनाया हुआ है. <br />— उस मनःस्थिति तक पहुँच पाना कठिन हो गया है जिसमें कविता का निर्माण हुआ है. <br />— आपमें दो ऐसे श्रेष्ठ कवियों का समावेश देखकर सभी शब्द-शक्तियों से अर्थ तक पहुँचने की सीढ़ी माँग रहा हूँ लेकिन कोई देने को तैयार नहीं. शायद उनके पास इतनी ऊँची सीढ़ी नहीं है.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00211742823973842751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-88987833080429925782010-06-30T11:00:06.107-07:002010-06-30T11:00:06.107-07:00apke blog par aakar acha laga...apke blog par aakar acha laga...gyaneshwaari singhhttps://www.blogger.com/profile/16752930608738766658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-32693896790392706052010-06-30T09:32:27.250-07:002010-06-30T09:32:27.250-07:00जिन्दा लोगों की तलाश!
मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
...जिन्दा लोगों की तलाश!<br />मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!<br /><br /><br />काले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।<br />=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=0=<br /><br />सच में इस देश को जिन्दा लोगों की तलाश है। सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।<br /><br />हमें ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो, लेकिन इस जज्बे की आग से अपने आपको जलने से बचाने की समझ भी हो, क्योंकि जोश में भगत सिंह ने यही नासमझी की थी। जिसका दुःख आने वाली पीढियों को सदैव सताता रहेगा। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।<br /><br />इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।<br /><br />अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।<br /><br />आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।<br /><br />शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-<br /><br />सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?<br /><br />जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-<br /><br />(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)<br /><br />डॉ. पुरुषोत्तम मीणा<br />राष्ट्रीय अध्यक्ष<br />भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)<br />राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय<br />7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)<br />फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666<br />E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in<br />http://presspalika.blogspot.com/<br />http://baasindia.blogspot.com/भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/12363266787410149792noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2575470555158647518.post-75017192904725939452010-06-30T08:21:34.641-07:002010-06-30T08:21:34.641-07:00आपके ब्लोग पर आ कर अच्छा लगा! ब्लोगिग के विशाल परि...आपके ब्लोग पर आ कर अच्छा लगा! ब्लोगिग के विशाल परिवार में आपका स्वागत है! अन्य ब्लोग भी पढ़ें और अपनी राय लिखें! हो सके तो follower भी बने! इससे आप ब्लोगिग परिवार के सम्पर्क में रहेगे! अच्छा पढे और अच्छा लिखें! हैप्पी ब्लोगिग!रौशन जसवाल विक्षिप्तhttps://www.blogger.com/profile/02927646540761405419noreply@blogger.com